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नेशनल हेराल्ड केस से लेकर वक्फ एक्ट के खिलाफ कांग्रेस अब फ्रंटफुट पर उतरकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से दो-दो हाथ करने जा रही है. हेराल्ड केस में ईडी की कार्रवाई के बाद से कांग्रेस लगातार एक्शन में है. कांग्रेस ने बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक लड़ाई लड़ने की स्ट्रैटेजी भी बनाई है. कांग्रेस अपने तमाम दिग्गज नेताओं के जरिए देशभर में प्रेस कॉफ्रेंस कर बीजेपी को घेरती नजर आएगी. इसी तरह वक्फ कानून के खिलाफ कांग्रेस ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए ‘संविधान बचाओ रैली’ करने का प्लान तैयार किया है.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पिछले दिनों कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई. इस चार्जशीट में उन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसे लेकर कांग्रेस ने भी सख्त तेवर अपना लिए हैं. कांग्रेस ने इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई के दिन और उसके पहले की रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है. इस तरह कांग्रेस अब बीजेपी और मोदी सरकार से आर-पार के मूड में नजर आ रही है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस

नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस ने सोमवार से 24 अप्रैल के बीच देशभर के 57 शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का मकसद नेशनल हेराल्ड मामले में बीजेपी द्वारा फैलाए जा रहे झूठ को उजागर करना है. उन्होंने नेशनल हेराल्ड प्रकाशन को ‘स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत स्मारक’ बताया. इसके लिए कांग्रेस अपने तमाम दिग्गज नेताओं को भी उतार रही है.

पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत शिमला में मीडिया को संबोधित करते हुए नजर आएंगे. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर लक्षद्वीप में, गौरव गोगोई जोरहाट में, सैयद नसीर हुसैन गोवा में, पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण बेलगाम में, मनीष तिवारी चंडीगढ़ में और प्रणव झा धर्मशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.

इनके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भुवनेश्वर में, कुमारी शैलजा भोपाल में, दीपेंद्र हुड्डा कोच्चि में, कन्हैया कुमार जयपुर में, तारिक अनवर लखनऊ में, राजीव शुक्ला सहारनपुर में, अलका लांबा काशी में और अमिताभ दुबे कोयंबटूर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.

बीजेपी को कठघरे में खड़े करने का प्लान

नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस ने जिस तरह से अपने दिग्गज नेताओं के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस कराने की योजना बनाई है, उससे साफ है कि पार्टी इस मामले पर आक्रामक रुख अपनाए रखना चाहती है. ईडी की चार्जशीट को कांग्रेस ‘राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई बता रही है.

पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम चार्जशीट में ‘बदले की भावना’ से शामिल किया गया है. कांग्रेस मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप सरकार पर लगा रही है. महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए नेशनल हेराल्ड केस को उठाया जा रहा है.

कांग्रेस ने सवाल उठाया कि बीजेपी या उसकी सहयोगी पार्टियों के किसी नेता पर इसी तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कांग्रेस नेता इस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ बदले की कार्रवाई वाले नैरेटिव सेट करना चाहती है और मुद्दों से जनता को भटकाना चाहती है. कांग्रेस ये बताने में जुटी है कि मोदी सरकार ईडी और जांच एजेंसियों का अपने विरोधी दलों के खिलाफ दुरुपयोग कर रही है. राहुल गांधी और सोनिया गांधी को टारगेट कर के विपक्ष को डराने की साजिश है, लेकिन वो डरने वाले नहीं है.

राहुल की निडर नेता वाली इमेज बनाने का दांव

कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार की इस तरह की किसी भी कार्रवाई से पार्टी डरने वाली नहीं है. नेशनल हेराल्ड केस को राहुल गांधी के इर्द-गिर्द घुमाकर कांग्रेस उन्हें एक निडर, ईमानदार और लड़ाकू नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है. कांग्रेस की स्ट्रैटेजी राहुल की लोकप्रियता उन तबकों तक बढ़ाने की है, जो ‘सिस्टम के खिलाफ लड़ने वाले नेता’ को पसंद करते हैं.

इस तरह से कांग्रेस ने खुद को एक्टिव भी रखने की स्ट्रैटेजी बनाई है. इस बहाने वह संदेश देना चाहती है कि यह सिर्फ उनके खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष को टारगेट किया जा रहा है. कांग्रेस ने खुद को पीड़ित दिखाकर सहानुभूति जुटाने का बनाया है. कांग्रेस जनता को यह समझाना चाहती है कि यह केस राजनीतिक है, कानूनी और भ्रष्टाचार का नहीं. राहुल गांधी की सक्रियता से बीजेपी घबरा गई है, जिसके चलते उन्हें टारगेट किया जा रहा.

वक्फ कानून के खिलाफ फ्रंटफुट पर कांग्रेस

नेशनल हेराल्ड ही नहीं कांग्रेस वक्फ संसोधन कानून के खिलाफ भी मजबूती से लड़ने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का स्टैंड सामने आने के बाद आया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बना रही है. बीजेपी संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ कानून बनाने के लिए दबाव बना रही है.

कांग्रेस ने 25 से 30 अप्रैल तक राज्य स्तर पर और फिर 3 से 10 मई तक जिला स्तर पर ‘संविधान बचाओ रैलियां’ आयोजित करने की रूपरेखा तय की है. इसके अलावा कांग्रेस ने 20 से 30 मई तक देश के हर घर तक पार्टी का संदेश पहुंचाने के लिए घर-घर अभियान शुरू करने की अपनी योजना की घोषणा की है.

मुस्लिमों का विश्वास जीतने का कांग्रेस प्लान

वक्फ कानून का मजबूती से विरोध कर कांग्रेस मुसलमानों का विश्वास जीतना चाहती है. कांग्रेस ने वक्फ कानून का संसद से लेकर सड़क तक विरोध करके संविधान वाला नैरेटिव गढ़ने का है. इसीलिए कांग्रेस ने संविधान बचाओ रैली करने की योजना बनाई है, जिसके जरिए सिर्फ मुस्लिमों ही नहीं बल्कि दलित और पिछड़े वर्ग के विश्वास को भी हासिल करने की स्ट्रैटेजी बनाई है. कांग्रेस ने रैली निकालने के पीछे का मकसद सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय का संदेश देने को बताया है.

कांग्रेस ने देशभर में रैलियों को निकालने का ऐलान ऐसे समय किया है, जब पहले से ही पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता संविधान खतरे में होने की बात लगातार कहते आ रहे हैं. पिछले साल दिसंबर के महीने में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद में खड़े होकर कहा था कि संविधान खतरे में हैं और कहा था कि देश में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ महिलाओं पर भी अत्याचार किया जा रहा है.

उन्होंने कहा था कि संविधान खतरे में है. ऐसे में सबको चौकन्ना रहना होगा. अब बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट को लेकर जो टिप्पणी की गई है तो कांग्रेस ने ‘संविधान बचाओ रैली’ के जरिए उसे धार देने की रणनीति बनाई है.

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